नवंबर में मेट्रो के ट्रायल रन की तैयारी कर रहा यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन अब मेट्रो के ढांचे पर लोड टेस्टिंग शुरू कर दी गई है. यह लोड टेस्टिंग तीन स्थानों पर की जाएगी.यूपीएमआरसी के मुताबिक, कानपुर मेट्रो के नौ किलोमीटर लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर का सिविल निर्माण कार्य पूरा होने वाला है. इसी के साथ अब लोड टेस्टिंग की कवायद भी शुरू हो चुकी है. लोड टेस्टिंग में एक गर्डर पर यात्रियों से भरी हुई पूरी ट्रेन का जितना हिस्सा आता है, उस हिस्से के वज़न से लगभग सवा गुना ज़्यादा वज़न के साथ यह परीक्षण किया जाएगा. मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक, आइआइटी से मोतीझील तक 248 टन वजन के साथ यह टेस्ट किया जाएगा. यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी कुमार केशव के अनुसार, नवंबर में ट्रायल रन से पहले यह लोड टेस्ट काफी अहम है.
इस तरह होती है लोड टेस्टिंग
लोड टेस्टिंग की प्रक्रिया के तहत मेट्रो ढांचे की वज़न झेलने की क्षमता की जांच की जाती है. इसके लिए बालू से भरी बोरियों को मेट्रो के वायडक्ट पर रखा जाएगा. निर्धारित वज़न को पांच चरणों में वायडक्ट पर रखा जाएगा और वज़न का दबाव पड़ने से मेट्रो ढांचे पर पड़ने वाले प्रभावों की रीडिंग ली जाएगी.
इन जगहों पर होगा परीक्षण
आइआइटी से मोतीझील के बीच निर्माणाधीन मेट्रो रूट पर तीन तरह के गर्डर्स का इस्तेमाल हुआ है. इसमें U-गर्डर, I-गर्डर और स्टील बॉक्स गर्डर शामिल हैं. इसमें आइआइटी से कल्याणपुर के बीच I-गर्डर पर, रावतपुर में U-गर्डर और स्टील बॉक्स गर्डर पर लोड टेस्ट किया जाएगा.s
लोड टेस्टिंग की प्रक्रिया के तहत मेट्रो ढांचे की वज़न झेलने की क्षमता की जांच की जाती है. इसके लिए बालू से भरी बोरियों को मेट्रो के वायडक्ट पर रखा जाएगा. निर्धारित वज़न को पांच चरणों में वायडक्ट पर रखा जाएगा और वज़न का दबाव पड़ने से मेट्रो ढांचे पर पड़ने वाले प्रभावों की रीडिंग ली जाएगी.
इन जगहों पर होगा परीक्षण
आइआइटी से मोतीझील के बीच निर्माणाधीन मेट्रो रूट पर तीन तरह के गर्डर्स का इस्तेमाल हुआ है. इसमें U-गर्डर, I-गर्डर और स्टील बॉक्स गर्डर शामिल हैं. इसमें आइआइटी से कल्याणपुर के बीच I-गर्डर पर, रावतपुर में U-गर्डर और स्टील बॉक्स गर्डर पर लोड टेस्ट किया जाएगा.s