कारी मोहम्मद अब्दुस समी साहब का सालाना फातिहा बनाम यौमे आबरू ए अहले सुन्नत आयोजित


कानपुर- आज दिनांक 21 मार्च 2021 काएदे अहले सुन्नत हज़रत अल्लामा मौलाना कारी मोहम्मद अब्दुस समी साहब क़िब्ला अलैहिर्रहमा का सालाना फातिहा बनाम यौमे आबरू ए अहले सुन्नत हर साल की तरह मस्जिद बासमंडी कानपुर में शहर क़ाज़ी कानपुर हज़रत मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही की अध्यक्षता में  बड़े तजको एहतिशाम के साथ मनाया गया ।जलसे को खिताब करते हुए मुख्य वक्ता हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद हनीफ बरकाती ने कहा कि हज़रत कारी साहब एक निड़र मुस्लिम काइद थे वह कभी किसी मुस्लिम मसले में किसी सियासी समझौते का शिकार नहीं हुए उनहोने सदैव इस्लाम और मसलक का झंड़ा बुलंद रखा जब भी शहर में कैसी भी जरूरत पेश आई माहौल में कशीदगी पैदा हुई आपने आगे बढ़कर अपनी कौम की सच्ची नुमाइंदगी की वह न कभी आला अफसरान के दबाव में आए और न सियासी लिडरान से सियासी समझौता किया बल्कि जो हक और सच था उस पर डटकर खड़े रहे यही वजह थी कि अपने तो अपने गैर भी उनकी सूझ बूझ और दानिशमंदी के काइल थे और आज उनकी याद में आंखें नम हैं । आज शहर क़ाज़ी के दावेदार तो बहुत है मगर किसी में भी वह वस्फ नहीं पाया जाता , मुफाद परस्ती की चादर ओढ़ कर कौम का भाला नहीं किया जा सकता , आज के मुल्की मंजर नामे पर जहां कौम अजब खलजान का शिकार है हम उम्मीद करते हैं कि उन्हीं के खानवादे से उठे हज़रत कारी साहब के नवासे मौलाना मुफ्ती मोहम्मद साकिब अदीब मिस्बाही शहर क़ाज़ी कानपुर ही उस नयाबत का हक अदा कर सकते हैं , अल्लाह इन्हें वहीं हौसला और हिम्मत के साथ कौम की खिदमत करने की तौफीक  अता फरमाए कार्यक्रम में मौजूद नायब  काजी कारी सगीर आलम हबीबी ने कहा कि कौम को जब भी जरूरत पड़ती थी कारी अब्दुल हर वक्त उनकी जरूरत पर खड़े नजर आते थे अपनी कौम की बात को उन्होंने हमेशा आगे रखते हुए शासन प्रशासन से मनवाया।हज़रत अल्लामा मुफ्ती रफी अहमद निजामी ने कहा कि अल्लाह कुछ बंदो को अपनी खास एनायतो के साथ दुनिया में भेजता है ताकि वह लोगों को अच्छाईयो की तरफ लाएं और बुराईयों से रोकें, दीने इस्लाम की शिक्षा लोगों तक सीधे तौर पर पहुंचाए , ऐसे ही लोगों में हज़रत अल्लामा मुफ्ती कारी अब्दुस समी साहब का शुमार है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी दीनो इस्लाम की बक़ा और तहफ्फुज के लिए वक्फ कर दी , अपनी पूरी जिंदगी कौम की भलाई के लिए बेचैनो बेकरार रहे और कौम के दबे कुचले लोगों के लिए लड़ते रहे, ऐसे लोग मरते नहीं बल्कि मरके भी जिंदा रहते हैं आज हम उनका जश्न इसीलिए मना रहे हैं कि वह हमें देख रहें हैं और खुश हो रहे हैं कि हमारे चाहने वाले हमें याद रखें हुए हैं , हमें जरूरत है कि हम उनके नक्शे कदम पर चलकर कौमों मिल्लत की फलाहो बहबूदी के लिए काम करें ।।कारी इकबाल बेग, माजूर कानपुरी , शब्बीर कानपुरी , कारी मोनिस आदि ने अपने कलाम पेश किए।                मुफ्ति ए शहर कानपुर हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती मोहम्मद हनीफ बरकाती साहब ने हज़रत कारी साहब के बुलंद दराजात के लिए दुआ फरमाई ।
इस मौके पर मौलाना महमूदुल हसन , कारी अबदुर रशीद , महबूब आलम खान मौलाना गुलाम मुस्तफा रजवी , हाफिज मोहम्मद सगीर आलम हबीबी आदि सैकड़ों उल्मा मौजूद रहे ।