कानपुर। जहां मेडिकल स्टोर से बिना पर्चे के दावा तक लाने से रोकती है पुलिस , पर्चा होने के बाद भी 10 सवाल कर लेती है वहा अब आप दारू के नाम पे बिना किसी पर्चे ने निकाल सकते है , जी है आज सरकार और डीएम के आदेश के बाद सहर में शराब के ठेके खोल दिए गए सुबह 10 से शाम 7 तक ,
अब तक जो शाशन और प्रशासन सोशल डिस्टेंससींग बनाए रखने के लिए चिल्ला रही थी शायद अब उसको कोई फर्क नहीं पड़ता । जगह जगह देखा जा सकता है किस तरह शराब के ठेकों पे भीड़ इकट्ठा है ना कोई सोशल डिस्टेंससींग नजर आए ना कोई नियम ।
सरकार को ऐसे वक़्त जब रोजाना कानपुर में नए कोरोना मरीज़ निकाल कर सामने आ रहे है और संख्या में रोज़ाना भड़त ही हो रही है तब शराब के ठेके खोलने का फैसला नहीं लेना चाहिए था ।
क्या सरकार को शराब से आने वाले टैक्स की चिंता थी यदि हा तो फिर नागरिकों कि चिंता का ढकोसला क्यों ?
सरकार को मोहल्ले कि दुकानों और होटल रेस्टोरेंट से जादा शराब के ठेके खोलना सही लगा।
आने वाले दिनों में हो सकता है पारिवारिक हिंसा अधिक हो जाए यदि ऐसा होता है तो इसके ज़िमेदार सरकार खुद होगी ।
होगा कुछ यूं कि बंदी के चलने काफी दिनों से आम जन जीवन थम गया है ना कोई कमाई हो रही ना कुछ । रोजना काम करने वाले और कमाने वाले लोगो की संख्या अधिक है अपने सहर में । जब सब बन्द था तो पैसे भी नहीं आए । अब जब सरकार ने दारू के ठेके खोल दिए तो दारू पीने वाले खुद को रोक नहीं पाएंगे वो दारू पीने के लिए पैसे का इंतजाम करने में लग जाएंगे हो सकता है घर में कुछ जरूरत के पैसे रखे हो और उस पैसे को ले के घर में लड़ाई झगड़ा होगा या बेवजह ही नशे में अपन मोहल्ले में झगड़ा करेगा ,
इसके अलावा जब सोशल डिस्टेंससींग की धाजिया इस तरह से उड़ेगी तो हो सकता है संक्रमण फैलने की संभावना भी अधिक हो जाए । एक ओर पूरे देश ने खुद को घर में कैद कर के रखा ताकि इस बीमारी से लड़ने में सरकार की मदद कर सके और खुद को इस महामारी से बचा सके वहीं महीनों की पूरी मेहनत में कुछ दिनों में ही पानी फिर सकता है यदि सरकार ने शराब बिक्री पे कोई ठोस नियम नहीं बनाया तो । वहीं दूसरी तरफ जब शराब कारोबारियों को अनुमाती मिल गई तो इसका फायदा उठा के मसाला और सिगरेट कारोबारी भी सरकार से इनकी बिक्री की अनुमति जरूर लेंगे और देखते देखते लॉकडाउन एक मज़ाक बन जाएगा ।
उम्मीद करते है सरकार के लिए गए इस फैसले का कोई बुरा आसार नहीं पड़ेगा ।s