डॉ अज़हर परवेज़
आधुनिक युग में अपच या बदहज़मी एक आम समस्या है। यह चिकित्सा से जुड़ी एक ऐसी स्थिति है जिसकी विशेषता उदर के ऊपरी हिस्से में बार बार होने वाला दर्द, ऊपरी उदर में पूर्णता की अनुभूति और भोजन करने के समय अपेक्षाकृत पहले से ही पूर्ण महसूस करना है। साथ ही साथ सूजन, मिचली आना, अम्लशूल होता है।
"वस्तुतः पाचनतंत्र प्रणाली से जुड़े रोग हमारी जीवन शैली से ताल्लुक रखते हैं। अत्यधिक तंबाकू का सेवन, अच्छी नींद का न आना या देर रात जगना। जीवन शैली का पश्चिमीकरण होना पाचन तंत्र प्रणाली पर बुरा प्रभाव डालते हैं, "यह कहना है डॉ अज़हर परवेज़ का जोकि गुड़गांव-स्थित मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में जी. आई. सर्जरी, जी. आई. ऑन्कोलॉजी और बरिएट्रिक सर्जरी, इंस्टीट्यूट ऑफ़ डाइजेस्टिव और हेपेटोबिलियरी साइंसेज़ विभाग में ऐसोसिएट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। प्रस्तुत हैं उनके साथ किये गये साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश :
प्रश्न : कृपया हमारे पाठकों को अपच से जुड़ी बीमारियों से अवगत कराएं।
उत्तर : पाचन तंत्र प्रणाली भोजन की नली से शुरू होकर मलद्वार में समाप्त होती है। इस पाचन तंत्र प्रणाली को स्वस्थ रखने के लिए हमारे लिये यह आवश्यक है कि हम स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं। खान-पान में सावधानियां, उचित नींद लेना, तंबाकू का सेवन छोड़ना अपच की समस्याओं को काफी हद तक कम करता है।
प्रश्न : वर्तमान समय में, पेट के कैंसर रोगियों की संख्या काफी बढ़ रही है। इसके पीछे क्या मुख्य कारण हैं?
उत्तर : आजकल पाचन तंत्र के कैंसर रोग से काफी लोग ग्रसित हैं। पहले किसी व्यक्ति के 70 वर्ष की उम्र होने के बाद कैंसर रोग होने की संभावनाएं या लक्षण परिलक्षित होते थे। लेकिन आज ऐसी स्थिति है कि 30 वर्ष की उम्र वाले व्यक्ति पेट के कैंसर रोग से ग्रसित हैं।
वस्तुतः व्यक्ति में कैंसर रोग होने के पीछे मुख्य कारण हैं : वातावरण का प्रदूषित होना, खाद्य-पदार्थों में मिलावट का होना, अत्यधिक शराब का सेवन करना। यह सब परिवर्तनीय कारक हैं।
प्रश्न : पाचन तंत्र संबंधित कैंसर रोग के क्या संकेतक लक्षण हैं?
उत्तर : कैंसर रोग के लक्षण हैं : भूख ना लगना, अचानक वजन में कमी का होना, पीलिया की शिकायत होना, मल का रंग काला होना, परिवार में किसी व्यक्ति को पहले कैंसर रोग हो चुका हो। ऐसे व्यक्ति को, जिसके परिवार में पहले कैंसर हो चुका हो, काफी परहेज बरतने की जरूरत है।
प्रश्न : बिहार में, आप अक्सर चिकित्सीय दौरे पर जाते हैं। वहां कैंसर रोग की स्थिति क्या है?
उत्तर : बिहार में पाचन तंत्र प्रणाली संबंधित कैंसर रोग से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या काफी ज़्यादा है। वहां लोग अपने खान पान पर उचित परहेज नहीं करते हैं। पेट में गैस बनने की शिकायत आम है। किसी प्रकार की पेट में गड़बड़ी होने पर लोग चिकित्सकों से जादूई इलाज की अपेक्षा करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में, लोगों में पेट की विभिन्न बीमारियों के विषय में कोई जानकारी नहीं है। सही समय पर इलाज नहीं होने पर पेट के रोग लाइलाज हो जाते हैं। इसमें कैंसर रोग प्रमुख है। शहरी क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों में कैंसर रोग से संबंधित जानकारियां हैं। लेकिन ऐसे लोग अपने बीमारियों के इलाज पर उचित ध्यान नहीं देते हैं।
प्रश्न : मेडिकल सेवा की गुणवत्ता के संदर्भ में आपके क्या विचार हैं?
उत्तर : मेडिकल सेवाओं में उत्कृष्टता होनी चाहिए। चिकित्सीय सेवाएं अव्यवस्थित नहीं होनी चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तम इलाज कराने में पैसे खर्च होते हैं। इस संदर्भ में निजी स्वास्थ्य बीमा की अहम् भूमिका होती है। चिकित्सीय इलाज मानकीकृत होना चाहिए। किसी प्रकार का भेदभाव रोगियों के साथ न हो, इस तथ्य के मद्देनजर इलाज किया जाना चाहिए।
सबसे बड़ी चुनौती यह है कि चिकित्सकों और रोगियों के बीच संवाद की कमी का होना। हर रोग के इलाज में जटिलताएं आती हैं। इस तथ्य से रोगियों को भली-भांति अवगत होना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा सिर्फ शासन की जिम्मेवारी नहीं है। वस्तुतः यह संयुक्त रूप से लोगों और शासन की जवाबदेही है।
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