कानपुर । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में शनिवार को 60वां स्थापना दिवस और हीरक जयंती समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शिरकत की। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत में आ रही है और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत की रचना करेगी।
उन्होंने बताया कि भारत के युवा शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इसके ही चलते आज हमारे देश में 33 करोड़ विद्यार्थियों की संख्या जा पहुंची है। विश्व में अमेरिका तकनीक के क्षेत्र में सबसे आगे चल रहा है जबकि उसकी आबादी हमारे देश के विद्यार्थियों के बराबर है। हमें केवल यह ध्यान देने की जरुरत है कि शिक्षा में निखार आए और तकनीक में बराबर शोध होते रहें। जिससे वह दिन दूर नहीं होगा जब हम तकनीक के क्षेत्र में भी विश्व में सबसे ऊंचे शिखर पर होंगे। इसके लिये सरकार हर संभव मद्द करेगी। मंत्री ने कहा कि भारत एक दिन सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। इसके साथ ही कानपुर आईआईटी एक दिन देश में नम्बर एक संस्थान होगा। इस मौके पर उन्होंने सबसे बड़ा उदाहरण चन्द पंक्तियां बोलकर बताया कि 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'। “यह मेरी पहली यात्रा है और मैं यहां बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के रूप में वापस आऊंगा। मैंने अपना ध्यान आकर्षित किया है।“ कानपुर आईआईटी से एक नई गंगा निकलनी चाहिए, के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
उन्होंने बताया कि भारत के युवा शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इसके ही चलते आज हमारे देश में 33 करोड़ विद्यार्थियों की संख्या जा पहुंची है। विश्व में अमेरिका तकनीक के क्षेत्र में सबसे आगे चल रहा है जबकि उसकी आबादी हमारे देश के विद्यार्थियों के बराबर है। हमें केवल यह ध्यान देने की जरुरत है कि शिक्षा में निखार आए और तकनीक में बराबर शोध होते रहें। जिससे वह दिन दूर नहीं होगा जब हम तकनीक के क्षेत्र में भी विश्व में सबसे ऊंचे शिखर पर होंगे। इसके लिये सरकार हर संभव मद्द करेगी। मंत्री ने कहा कि भारत एक दिन सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। इसके साथ ही कानपुर आईआईटी एक दिन देश में नम्बर एक संस्थान होगा। इस मौके पर उन्होंने सबसे बड़ा उदाहरण चन्द पंक्तियां बोलकर बताया कि 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती'। “यह मेरी पहली यात्रा है और मैं यहां बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के रूप में वापस आऊंगा। मैंने अपना ध्यान आकर्षित किया है।“ कानपुर आईआईटी से एक नई गंगा निकलनी चाहिए, के साथ कार्यक्रम का समापन किया।